एक नई रचना
क्या सही है
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जलधि की व्याकुल गरजना
या नदी का
चिर मिलन को यों मचलना
क्या सही है

स्वप्न के चलचित्र मिटना
या किसी के
हाथ के कंगन खनकना
क्या सही है

बंद दरवाजे पे मेरे
अर्गला का
एक अरसे से न बजना
क्या सही है

उम्र का तेजी से बढना
कुछ ठहर कर
तीव्र गति से यों सरकना
क्या सही है
यह जगत मित्थ्या , न कहना
कुछ भी कहो
मगर यह सोच कर कहना
क्या सही है

रुकमनी के साथ रहना
इक विवशता
ध्यान में राधा के रमना
क्या सही है

5 टिप्पणियाँ:

बिल्कुल सही है……………कुछ भी तो असत्य नही।

आदरणीय गौर जी ... आपकी रचना बहुत से प्रश्नों के उत्तर चाहती है ... मन कहता है ... सब सही है ... बहुत अच्छी रचना ... शुभकामनाएं

इस दुनिया मे सब कुछ सही तो नही है मगर जो आपने कहा वो सही है। शुभकामनायें।

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प्रणाम सर !
इक बात कहूँ...

सच क्या है ? कल्पना क्या है ?
वो पूछता है, तमन्ना क्या है ?

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हमराही