एक नई रचना :-काश इतना पता होता

काश मैंने
तुमाहरी हथेली पर बना
एक अनजान द्वीप का नक्शा
पढ़ लिया होता


तो इतिहास कुछ और होता
न तुम पीर सहते
न मैं दर्द ढोता


बात यह नहीं थी
कि मैं
पड़ा लिखा नहीं था
बस कमी यह थी
कि मैं
समझदार नहीं था
प्यार भी व्यापार है
काश इतना पता होता
तो इतिहास कुछ और होता
तुम पीर सहते
मैं दर्द ढोता


इतिहास गवाह है
कि ईश्वर
ऐसे मामलो में
अक्सर चुप रहा है
उसने तो बहुत पहले ही
लैला मजनू
हीर राँझा
शीरे फरियाद
और सोनी महिवाल का
फैसला सुना कर
बंद कर दिया था
अपना बही खाता


असलियत का पता
तो उसे तब लगता
जब उसने भी
किसी से प्यार किया होता
तो इतिहास कुछ और होता
तुम पीर सहते
मैं दर्द ढोता


बी .एल.गौड़

1 टिप्पणियाँ:

bhaut hi gahan abhivaykti....

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हमराही