बचा ही नहीं बूँद भर अम्रत पी गए देव बिना विचारे बोल का परिणाम महाभारत हुआ निस्सार शपथ लेते लेते गीता का सार लम्बी उमर नापते अनुभव न कि बरस सीता का दुःख उर्मिला के सम्मुख कुछ भी नहीं एक ही प्रश्न कब हों पीले हाथ चिंता में तात चुनाव देख बगुलों के वेश में निकले कौवे केन्द्रविंदु है सीता अपहरण रामायण का बी एल गौड़
2 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर्।
बहुत अच्छा....
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