पिताजी का अच्छा काम
पिताजी एक अच्छा काम कर गए
क़ि बिना देश का भ्रमण किए ही मर गए
जिस गाँव में पैदा हुए
उसी में जिए
और सारे अच्छे काम
जैसे :
गाँव में एक बड़ी चौपाल
पशुओं के लिए ताल
चामुंडा और पथवारी का thda
पीर का ठान
गाँव के बाहर धर्मशाला
लड़कियों क़ि पाठशाला
इतने सारे काम
बिना चंदे के कर गए
उनकी अमरता के लिए
इतने काम काफ़ी हैं
आज भी गाँव वाले
किसी न किसी रूप में
उनका नाम लेते हैं
जिन्दगी में अच्छा काम
एक ही काफ़ी है
बशर्ते आपने उसे
बिना चंदे के अंजाम दिया हो
और सारा जीवन
बिना चंदे के जिया हो
क्या ऐसा नहीं हो सकता
क़ि हम बिना चंदे के कोई अच्छा काम कर पायें
और बिना किसी चिंता के
चिता पर चढ़ पायें
चंदा मांगना तो बुरा नहीं
बुरा है चंदे से चुंगी काटना
और आंये बांये कर यह बताना
क़ि चन्दा कम पड़ गया
इसी लिए वह काम पिचाद गया
अच्छा हुआ पिताजी
आप समय से मर गए
और बिनना चंदे का दाग लिए
चिता पर चढ़ गए
पिताजी एक ........
प्रस्तुतकर्ता
बी. एल. गौड़
1 टिप्पणियाँ:
bahut khoob likhate hai aap...
dard baant le chalo zindagi udhar ki hai..
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