चलो मन अब तुम ऐसे देश
जहाँ पर नयनन बरसे नेह
जहाँ पर सीता—सी हों नारि
जहाँ के नर हों सभी विदेह।

जहाँ पर हो कोयल की कूक
भ्रमर की गुंजन का हो गान
जहाँ पर तितली हों आजा़द
निडर हो पक्षी भरें उड़ान
जहाँ पर हो निर्मल—सा नीर
जहाँ पर हो मुरली की तान
जहाँ पर हो राजा का न्याय
बड़ों का होता हो सम्मान
किसी के आँगन उतरे चाँद
तो वन्दनवार बँधे हर गेह।

जहाँ हो अलगोजे पर गीत
पवन सँग चूनर के रँग सात
जहाँ हो गंगाजल—सा प्यार
जहाँ हो लक्ष्मण जैसा भ्रात
जहाँ हो सागर एक विशाल
तैरते जिस पर हों जलयान
जहाँ हो सागर एक विशाल
तैरते जिस पर हों जलयान
जहाँ की धरती पर हो धर्म
जहाँ हों भरे हुए खलिहान
जहाँ पर मोर पुकारें मेघ
धरा पर बरसाओ तुम मेह।

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हमराही